महासमुंद।देश मे लगातार प्रगाढ़ हो आर्थिक अंसतुलन की स्थिति से निजात पाने की नीतियों व उपायों पर केंद्र में आसीन मोदी सरकार असफल साबित हुई है l देशवासियो के दैनिक जीवन मे विभिन्न आर्थिक कारणों के चलते अनेक समस्याओं का प्रतिदिन बढ़ना इस बात का संकेत है l उक्त बातें प्रेस विज्ञप्ति में महासमुंद पालिकाध्यक्ष श्रीमती राशि त्रिभुवन महिलांग ने विज्ञप्ति में कही l
श्रीमती महिलांग ने आगे कहा कि अनेक वित्त एजेंसियों के आंकड़े इस बात का संकेत दे रहे वेतन व मजदूरी में बेहद धीमी गति से बढ़ोतरी के बीच आसमान छूती महंगाई से जनमानस की वास्तविक घरेलू आय में गिरावट आई है l महंगाई की तुलना में वास्तविक आमदनी में गिरावट को लेकर सरकार का रवैया बेहद सुस्त है l सरकार अपनी जर्जर अर्थ नीतियों के चलते जनमानस को मिल रही आर्थिक परेशानियों से सरकार बेफिक्र है l
श्रीमती महिलांग ने आगे कहा कि धीमी वेतन वृद्धि और कमर तोड़ महंगाई से वास्तविक मजदूरी में काफी गिरावट है l विभिन्न सर्वो के आंकड़े जिनमे अपंजीकृत उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण ,घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण के आंकड़े कामकाजी वर्ग के सामने गहराते वित्तीय संकट को दर्शाते हैं l सरकार के अपने आधिकारिक आंकड़े इस बात का प्रमाण है कि श्रमिको की क्रय शक्ति वर्तमान समय से 10 साल पहले की तुलना में कम हो गई है l श्रम ब्यूरोका वेतन सूचकांक दर्शाता है की श्रमिको की वास्तविक मजदूरी 2014..2023 के बीच स्थिर और 2019 ..2024 के बीच गिरावट आई है l
श्रीमती महिलांग ने आगे कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्रालय की जारी आंकड़े दर्शाते हैं कि पूर्व की मनमोहन सिंह की सरकार के कार्यकाल में खेतिहर मजदूर की वास्तविक मजदूरी प्रत्येक वर्ष 6.8 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी हुई है वही मोदी सरकार के समय के खेतिहर मजदूरी में प्रत्येक वर्ष 1.3 प्रतिशत गिरावट आई है l मोदी सरकार को जनमानस को यह बताना चाहिए कि निजी निवेश वर्तमान में सुस्त क्यो बना हुआ है l निजी निवेश की हिस्सेदारी सम्पूर्ण देश मे बीते चार वर्षों में सबसे निचले स्तर पर क्यो पहुँच गया है?? व उपभोग वृद्धि इतना कमजोर क्यो है व निजी अंतिम उपभोग व्यय वित्त वर्ष 2024 में केवल 4 प्रतिशत के आस पास ही क्यो बढ़ा है l