कोडार जलाशय से करनी कृपा प्लांट को नहीं मिलेगा पानी,किसानों के साथ हुआ समझौता

Please share

महासमून्द। तुमगाँव, पीढ़ी, भोरिंग, सिरपुर, खैरझिटी, जैसे सैकड़ों गाँवों की जीवनदायिनी कोडार बांध का पानी उद्योगों को बेचने में तुले राजनेता, राज्य आंदोलनकारी किसान मोर्चा ने दो साल लगातार सत्याग्रह कर करणी कृपा उद्योग से उद्योग के लिए पानी नहीं लेने का संकल्प लिखित समझौता किया 25 फरवरी 2024 को सत्याग्रह स्थगित होगा, पंडाल मुख्य मार्ग से करणी कृपा फैक्ट्री के बाउण्ड्री के अंदर मोर्चा के भूमि पर लगेगा कार्यालय , छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार ने सत्ता को व्यापार का दर्जा दे दिया था। जिसके चलते शासकीय कर्मचारी, सचिव से लेकर चपरासी तक धन उगाही में लगा था। जिसका परिणाम चारों ओर भ्रष्टाचार ही भ्रष्टाचार है। पूर्व मुख्य सचिव विवेक ढांड, सचिव अनिल टूटेजा, जिलाधीश राणू साहू, सचिव समीर, आबकारी सचिव त्रिपाठी, आई.जी. आरिफ शेख, आकाश राव. पुलिस अधीक्षक प्रतिदिन थाने में दुकान लगाकर अपराध कराकर पैसा उगाही का धंधा कर रहे थे जिसका मुख्यमंत्री कार्यालय राजधानी मुख्य केन्द्र था। छत्तीसगढ़ की जनता में इतनी जागरूकता आ गई है कि धंधा करने वाले राजनेता अब चल नहीं सकते और यही कारण है कि कांग्रेस ने कर्नाटक में भाजपा के भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर सत्ता हासिल किया था। छत्तीसगढ़ के बेवकूफ कांग्रेसी कैसे भूल गये कि छत्तीसगढ़ का भ्रष्टाचार उन्हें पुनः सत्ता देगा। आज इस भ्रष्टाचार की बली तुमगाँव परिक्षेत्र के सैकड़ों गाँव चढ़ गये थे जिसे छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के गांधीवादी सत्याग्रह ने कोडार का पानी किसानों का और किसानों का ही रहेगा के नारे को जीत दिलाई है। जिसके लिए राज्य आंदोलनकारी सत्याग्रह और आंदोलन के मुखिया संचालनकर्ता श्री अनिल दुबे को पुलिस अधीक्षक महासमुंद ने शिवानंद, नसीरूद्दीन, पवार, सहित दर्जनों वर्दीधारी कारखाने के पैसे के दम पर खरीदने का भी प्रयास किया। राज्य आंदोलनकारी अनिल दुबे ने पैसा लेने के बजाय जेल जाना स्वीकार किया और तीन महासमुंद जेल में रहे। क्षेत्र के किसान, महिला किसानों, आदिवासी किसानों ने सड़क की लड़ाई लड़ी, जेल से छूटे और आज पुलिस अधीक्षक, एस.डी.एम., जिलाधीश माननीय उच्च न्यायालय में आरोपी हैं। इसी क्रम में कारखाना के संचालक निर्णय चौधरी, प्रकाश ने किसानों से आवेदन देकर मांग पूरी करने की लिखित में दिया जिसमें सत्याग्रही किसानों ने एजेण्डा भेजा जिसमें प्रमुख मांग कोडार बांध का पानी करणी कृपा प्रा.लि. नहीं लेगा। क्योंकि छत्तीसगढ़ शासन से उसका समझौता है। जिस पर उसका पैसा भी लगा है। पर कम्पनी ने किसानों के लगातार संघर्ष को स्वीकार करते हुए कोडार से पानी नहीं लेने का लिखित समझौता किया। किसानों ने दूसरी मांग के रूप में आदिवासी भूमि, शासकीय भूमि, नेशनल हाईवे की भूमि, सिंचाई विभाग की भूमि पर प्रकरण की सुनवाई के साथ सशर्त डायवर्सन जिलाधीश महासमुंद का भ्रष्टाचार के निर्णय पर दोनों पक्ष स्वीकार करेंगे उसे भी कंपनी प्रबंधन ने स्वीकार कर लिया। ऐसी स्थिति में किसानों ने सत्याग्रह स्थगित कर कानूनी लड़ाई जारी रखने का फैसला किया है। 25 फरवरी को राज्य आंदोलनकारी, प्रदेश किसान अध्यक्ष अनिल दुबे, जी.पी. चंद्राकर, जागेश्वर प्रसाद, लालाराम वर्मा, वेगेन्द्र सोनबेर, विमल ताम्रकार, गोवर्धन वर्मा, महेन्द्र कौशिक, श्रीधर चंद्राकर, छन्नू साहू, चेतन देवांगन, राधा बाई सिन्हा, श्याम बाई ध्रुव, डिगेश्वरी चंद्राकर, कुमारी ध्रुव, रमशीला पटेल, सरस्वती वैष्णव, दिनेश यादव, तोषण सिन्हा, लातूराम सिन्हा, बोधन यादव समापन में शामिल होंगे एवं हाईवे में लगा पंडाल करणी कृपा प्रा.लि. परिसर के अंदर किसान द्वारा दान में दिए किसान मोर्चा के 6 डिसमिल भूमि पर लगेगा। किसान मोर्चा सतत निगरानी रखेगा कोडार बांध से पानी लेने का प्रयास उद्योग न करें। ज्ञात रहे एक हजार बोर अर्थात् महासमुंद के एक हजार बोर का पानी भी करणी कृपा प्रा. लि. को कम पड़ेगा। करणी कृपा के संचालक द्वारा कोडार बांध से पानी नहीं लेने का किसान मोर्चा ने खुले मन से स्वागत किया है।जागेश्वर प्रसाद हेमसागर पटेलअशोक कश्यप
छन्नू साहू.दशरथ,दशरथ सिन्हा
वेगेन्द्र सोनबेर.डेविड चंद्राकर
राधा बाई सिन्हा, श्याम बाई ध्रुव, डिगेश्वरी चंद्राकर, कुमारी ध्रुव, रमशीला पटेल, सरस्वती वैष्णव, दिनेश यादव, तोषण सिन्हा, लातूराम सिन्हा, बोधन यादव सहित सभी सत्याग्रही किसान के प्रतिनिधि शामिलात हुए।

Leave a Comment