महासमुंद। पूर्व संसदीय सचिव छ.ग. शासन व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने बीई/बीटेक डिग्री धारी अभ्यर्थियों को विभिन्न विभागों में जेई (जूनियर इंजीनियर) भर्ती परीक्षा से वंचित किए जाने की सरकार के अव्यवहारिकता पूर्ण निर्णय की निंदा की है। श्री चंद्राकर ने कहा कि इससे प्रदेश के लगभग 25 हजार से अधिक बीई/बी.टेक डिग्रीधारी अभ्यर्थियों में सरकार एवं प्रशासन के अदूरदर्शिता पूर्ण निर्णय से आक्रोश व्याप्त है। सरकार के इस निर्णय से बीई क्वालीफाईड छात्रों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद भी वर्तमान में सरकार द्वारा पीएचई विभाग में जेई सहित कुल 128 पदों में भर्ती के लिए जेई/बी.टेक डिग्रीधारियों को भर्ती परीक्षा में शामिल होने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया। केवल डिप्लोमाधारी छात्रों को ही परीक्षा के लिए पात्र माना गया है।
श्री चंद्राकर ने कहा कि सरकार के भेदभाव पूर्ण नीति से प्रदेश के बीई/बी.टेक डिग्रीधारी युवाओं में गहरी नाराजगी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश नहीं मानने के विरोध में प्रदेश के युवा सरकार के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाने विवश हो रहे हैं। प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न विभागों में जूनियर इंजीनियर भर्ती के लिए निकाली गई वेंकेंसी का परीक्षा व्यापमं द्वारा लिया जाना है। जिसमें सिर्फ डिप्लोमाधारी को ही योग्य मानना बीई/ बी.टेक डिग्रीधारी अभ्यर्थियों के साथ अन्याय है। डिप्लोपा के साथ डिग्रीधारियों को भर्ती परीक्षा में शामिल होने बराबर का अवसर मिलना चाहिए। जिससे प्रदेश के युवा सुरक्षित भविष्य को लेकर चिंतामुक्त हो सके। सरकार के भेदभाव पूर्ण नीति से प्रदेश के हजारों युवा बेरोजगारी का दंश झेलने विवश हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के इस तरह अव्यहारिकता पूर्ण निर्णय से भविष्य में बीई/बी.टेक डिग््री करने युवाओं की रूचि घटेगी। जिसका परिणाम स्वरूप इंजीनियरिंग महाविद्यालयों के अस्तित्व पर संकट उत्पन्न होगा। श्री चंद्राकर ने कहा कि प्रदेश के बीटेक डिग्री वाले अभ्यर्थी काफी समय से मांग कर रहे हैं कि जेई भर्ती के लिए उनकी डिग्री को भी अर्ह माना जाए। जेई भर्ती के लिए केवल डिप्लोमाधारी अभ्यर्थियों को अर्ह माना जाना उनके साथ अन्याय है। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश के बीई/बी.टेक डिग्रीधारी युवाओं में उम्मीद जगी थी कि उन्हें भी जेई भर्ती में शामिल हाेने का अवसर मिलेगा। परंतु, छत्तीसगढ़ सरकार की हठधर्मिता के चलते पात्र होते हुए भी बीई डिग्रीधारी युवाओं को शासकीय पदों से वंचित होना पड़ रहा है।
