महासमुंद। युक्ति युक्तिकरण के आड़ में शासकीय स्कूलों को बंद करने की साजिश,सरकार की मंशा निजी स्कूलों को बढ़ावा देकर शासकीय स्कूलों को बंद करने की है।
एक प्राथमिक शाला में 1+1 का सेटअप देकर क्या पांच कक्षाओं का संचालन हो सकता है ? दो शिक्षक के भरोसे स्कूल नही दाल भात सेंटर चलाना चाहती है बीजेपी सरकार
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के संयुक्त महासचिव आलोक चंद्राकार ने कहा की इन दिनों राज्य सरकार अजीबो गरीब निर्णय ले कर शिक्षा के स्तर को संकट में डाल रही है युक्ति युक्तिकरण के आड़ में हजारों शासकीय स्कूलों को बंद करने का खेल खेला जा रहा है और शिक्षको को जबरन अतिशेष बनाकर भटकने के लिए मजबूर किया जा रहा है। श्री चंद्राकार ने कहा की एक प्राथमिक शाला जिसमे एक से पांच तक की कक्षाएं संचालित होती है उस शाला के लिए महज दो शिक्षको का सेटअप तैयार करना आखिर सरकार की किस सोच को दर्शाता है क्या एक प्रधान पाठक और एक शिक्षक एक प्राथमिक शाला का संचालन कर सकते है ऐसे तुगलकी फरमान से एक बात तो साफ दिखाई दे रही है की राज्य की बीजेपी सरकार को गरीबों के बच्चो से कोई सरोकार नहीं है इस सरकार की सोच बच्चो को गुणवक्ता युक्त शिक्षा देने की नही है बल्कि ये स्कूल की जगह सिर्फ दाल भात सेंटर चलाना चाहते है।
श्री चंद्राकर ने कहा एक तरफ कांग्रेस की भूपेश सरकार ने शिक्षको की भर्ती और अनेकों स्कूल अपने कार्यकाल में खोले वही दूसरी तरफ बीजेपी की मोदी की गारंटी वाली डबल इंजन की सरकार आज शासकीय स्कूलों को युक्ति युक्तिकरण के नाम पर बंद कर हजारों शिक्षको को अतिरिक्त शिक्षक बनाकर कर भटकने के लिए मजबूर कर रही है।
ये सरकार आखिर कैसी शिक्षा देना चाहती है ये चिंतन का विषय है शिक्षक भर्ती करने के बजाए शिक्षको को अतिशेष बताकर स्कूलों के सेटअप के साथ जबरदस्त बदलाव कर हजारों शिक्षको को अतरिक्त दिखाकर आज राज्य सरकार प्रदेश के हजारों शिक्षको को मानसिक रूप से परेशान कर के रखी है।
श्री चंद्राकार ने कहा की आज जब शिक्षको को बच्चो की पढ़ाई में लगे रहना था परंतु राज्य सरकार प्रदेश के शिक्षको को मानसिक रूप से युक्ति युक्तिकरण के नाम पर परेशान कर बच्चो की पढ़ाई को बाधित कर रही है।
श्री चंद्राकार ने कहा की बीजेपी सरकार को गरीबों और उनके बच्चो की शिक्षा से कोई सरोकार नहीं है इस सरकार का उद्देश्य साफ है निजी स्कूलों को बढ़ावा देना इस लिए युक्ति युक्तिकरण के आड़ पर प्रदेश की पूरी शिक्षा व्यवस्था को खोखला करने का प्रयास किया जा रहा है जो कदापि उचित नहीं है।
एक तरफ पूर्व की भूपेश सरकार की शिक्षा नीति पर गौर करे तो देखने को मिलता है शिक्षा प्रति समर्पण शिक्षा के स्तर को कैसे ऊंचे मुकाम में ले जाना और इसका साफ उदाहरण प्रदेश में खुले आत्मानंद शासकीय विद्यालय है।
दूसरी तरफ बीजेपी सरकार की शिक्षा पर उनकी सोच साफ दिखाई दे रही है की इनको गांव के गरीब के बच्चो की शिक्षा से कोई सरोकार नहीं ये नही चाहते की गरीब का बच्चा पढ़ लिखकर आगे बढ़े इस लिए भाजपा सरकार शिक्षा की बुनियाद को ही कमजोर करना चाहती है बच्चा जब बुनियादी स्तर पर ही कमजोर हो जाएगा तो कैसे आगे की शिक्षा पूरी कर पाएगा।
इस लिए स्कूलों में शिक्षक देने के बजाए शिक्षक अतिशेष कर बुनियादी शिक्षा की कमर तोड़ने का प्रयास कर रही है बीजेपी सरकार के इस कृत्य को छत्तीसगढ़ की जनता माफ नहीं करेंगी ।
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