महासमुन्द पूर्व विधायक डॉ विमल चोपड़ा ने प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा हैं कि राजस्व विभाग महासमुंद में लगातार अनियमितताओं एवं भर्राशाही का रवैया व्याप्त है। मुख्यमंत्री, राजस्व मंत्री एवं कलेक्टर व जनप्रतिनिधियों की लगातार चेतावनी के बावजूद आम लोग परेशान होकर चप्पल घीसकर परेशान है। परंतु या तो फाइल सरकती नहीं या अकारण ही मामला खारिज कर खर्राटों की नींद में अधिकारी मदमस्त हैं। तारीख पर तारीख के कारण वर्षों के बाद भी जनदर्शन से कलेक्टर के भेजे आवेदन भी रंग नहीं पाते और कलेक्टरों को उनकी समीक्षा की फुर्सत भी नहीं।
डॉ विमल चोपड़ा के नेतृत्व में राजस्व विभाग का यह सहायता केंद्र 12.4.2024 से प्रारंभ हुआ और अब तक लगातार नियमित रूप से चल रहा है और आगे भी चलता रहेगा । इस प्रयास की शिकायत प्रशासन द्वारा भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को की गई थी। प्रदेश अध्यक्ष दिए गए स्पष्टीकरण पर संतुष्ट होकर जनहित के इस कार्य को प्रारंभ रखने की स्वीकृति देने पर कार्य सुचारू रूप से चला रहा अफसरों एवं कर्मचारियों की भर्राशाही का विरोध उन्हें दबाव लगता है और आंदोलन कर जनता पर दबाव बनाने का प्रयास करते हैं। लगातार देखने में यह आया कि बुधवार के दिन अधिकारी नदारद रहने लगे एवं जनता की पीड़ा का सामना करने से कतराने लगे। इन अधिकारियों ने कर्मचारियों को हमारे विरुद्ध धरने में भी बैठाया और कार्यालय परिसर में कर्मचारियों के धरने पर कोई कार्यवाही ना करते हुए उस दिन का पूरा वेतन भी उन्हें दिया जबकि इसकी लिखित शिकायत एसडीएम एवं कलेक्टर को करते हुए उस दिन का उनका वेतन काटने कहा गया।
आवेदन कर्ताओं ने बताया कि एसडीएम एवं तहसीलदार द्वारा दिए गए फैसले में की गई टंकण त्रुटि के लिए भी प्रकरण दर्ज कर अपनी की गई गलती में सुधार के लिए लोगों को तारीख पर तारीख दी जाती है।
1.चेतना मालू के प्रकरण में बंटवारे नामे में 2138 खसरा दो पेजों में लिखने के बाद 1238 कर दिया जाता है एवं 1238 खसरे पर भू माफियाओं से कब्जा कर दिया जाता है जो प्रकट करता है कि इसमें लंबा खेल हुआ होगा, जबकि आरआई व पटवारी की रिपोर्ट तहसीलदार द्वारा खसरे की टंकण त्रुटि का प्रतिवेदन देकर सुधार का सुझाव दिया जाता है परंतु एसडीएम मामला खारिज कर अपने पेंडिंग प्रकरण में एक कमी कर दी जाती है, जबकि दस्तावेज चिल्ला चिल्ला कर कह रहे हैं कि गलती तहसीलदार के कार्यालय की है, ऐसे नासमझों पर तत्काल प्रशासनिक कार्यवाही की मांग शासन से की जाएगी।
- इसी प्रकार महासमुंद के शिरीष कुमार गंडेचा के प्रकरण में बंटवारे नामे में जोड़ घटाने में कार्यालय द्वारा की गई त्रुटि को सुधारने से भी मना कर प्रार्थी को भगा दिया जाता है जो अत्यंत आपत्तिजनक है।
- ग्राम बरौंडाबाजार के 13 किसान एवं पाली के 27 किसान जो अनुसूचित जाति, जनजाति एवं ओबीसी समाज से हैं आज वर्षों से खेत की भूमि का पट्टा होने के बावजूद प्रशासन की लाल फीता शाही के कारण या तो खेती से वंचित है या उनकी उपज सोसाइटी में नहीं बिक पा रही है। लोगों की जमीन जिसका खसरा ऑनलाइन चढ़ाना है उसका पूरा रिकॉर्ड प्रशासन के पास है उन्हें न्यायालयीन प्रकरण बना दिया जाता है जबकि उसमें कोई विवाद नहीं होता।
- ग्राम बेमचा के रामटहल निषाद की जमीन ऑनलाइन सरकारी बताई जा रही है जो अब चपरासी की नौकरी से रिटायर होने के बाद जीवन के अंतिम पायदान पर हैं परंतु आरआई पटवारी के रिपोर्ट के बाद भी उनके प्रकरण को रोक कर रखा गया है। भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य रहे स्व.5 केजूराम सेन के परिवार का काम सारी औपचारिकता पूर्ण होने के बावजूद महीनों नहीं होना अफसर की तानाशाही प्रवृत्ति का द्योतक है।
किसानों के धान के रकबे में त्रुटि की सैकड़ो शिकायतें न्यायालय में हल की जाती है जिसकी कोई समय सीमा नहीं होती साथ ही इन अधिकारियों के अधीनस्थ आने वाले आरआई एवं पटवारी से रिकॉर्ड स्वयं मंगाने के बजाय आवेदन कर्ताओं को कहते हैं कि रिकॉर्ड लाओ जबकि यह काम उनका स्वयं का है।
- पूर्व विधायक व संसदीय सचिव विनोद चंद्राकर के चाचा चंद्रपाल चंद्राकर ग्राम कोना ने भी 19.07.2024 को अपना त्रुटि सुधार का प्रकरण हमारे रजिस्टर में दर्ज कराया, जिसके लिए भी तहसीलदार से नियमों अनुसार कार्यवाही को कहा गया।
- सुखदेव मालेकर चिंगरौद वाले अपनी पुश्तैनी जमीन पर भू स्वामी हक पाने वर्षों से भटक रहे हैं।
वर्ष 2022 में सरकार ने जमीन रजिस्ट्री के नामांतरण को रजिस्ट्रार ऑफिस को तहसील ऑफिस से जोड़ते हुए इसे पूर्णतः ऑनलाइन कर दिया है परंतु यह जानकारी जमीन क्रेता को नहीं दी जाती और पुरानी प्रक्रिया के अनुसार आवेदन व कागज मंगा कर क्रेता को परेशान करने का काम आज भी चल रहा है जिसका भुक्तभोगी में स्वयं हूं।
वन पट्टा में धान बेचने वाले आदिवासियों की कठिनाइयों के समाधान में कोई रुचि नहीं ली जाती है वाले आदिवासियों की कठिनाइयों के समाधान में कोई रुचि नहीं ली जाती ।
- सिरपुर के कमार बस्ती में निवासरत कमारो को आज तक खेती का पट्टा प्रदान नहीं किया गया जबकि वे वहां लगभग 40 50 वर्षों से खेती करते आ रहे हैं। पट्टा न होने के कारण उनका धन खुले बाजार में औने पौनेदाम में बेचने की उनकी अनुसार उनको पट्टा मिलना चाहिए। है। जबकिसके के
पेशी की तारीख देकर कलेक्ट्रेट या फिल्ड में निकलना आम बात है और पक्षकार दूरस्थ अंचल से आकर भटकते रहते हैं. जबकि ऐसी परिस्थितियों में एक दिन पूर्व या उसी दिन प्रातः फुर्सत में रहे स्टाफ द्वारा पक्षकार को मैसेज कर न आने कहने एवं अगली तारीख बता सकता है जिससे पक्षकार का समय व धन बचने के साथ वह परेशानी से भी बच सकता है. परंतु इन्हें आम लोगों की तकलीफ से कोई मतलब ही नहीं रहता।
आज इस कार्यालय में आदिवासी, अनुसूचित जाति, ओबीसी एवं सामान्य वर्ग के लोग परेशान होकर भटक रहे हैं परंतु उनके सामाजिक नेता इन गरीबों की लड़ाई के लिए कभी आगे नहीं आते परंतु यदि इन्हीं वर्गों के किसी अधिकारी पर परेशान होकर कोई व्यक्ति आक्रोशित हो जाता है तो समाज आंदोलित हो जाता है। हमारा निवेदन है कि सामाजिक नेता अपने समाज के अधिकारियों पर दबाव बनाए कि वह लोगों का सही काम शीघ्र पूरा कर समाज के प्रति अपना कर्तव्य निभाए अन्यथा समाज इन अधिकारियों के विरुद्ध समाज के गरीब वर्गों के साथ खड़ा होगा।
प्रकरणों में प्रगति न होता देख राजस्व विभाग प्रताड़ना संघ ने निर्णय लिया है कि आगामी बुधवार दिनांक 15 जनवरी को बस में समस्त प्रताड़ित लोग राजस्व मंत्री के बंगले में जाकर उनसे गुहार लगाएंगे उसके बावजूद भी यदि समस्याओं का निराकरण नहीं होता है तो स्थानीय चुनाव पश्चात मुख्यमंत्री निवास तक पदयात्रा कर उनको समस्त बार्ता की जानकारी दी जाएगी।