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महासमुन्द, अपने लंबित मांगों के लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों के कार्यकर्ता व सहायिका लगभग महीने भर से सड़क पर आन्दोलन करने मजबूर हैं, जिससे उनसे सम्बंधित अनेक कार्य प्रभावित हो रहे हैं, ऐसे में सरकार को अपनी हठधर्मिता छोड़कर उनसे चर्चा करनी चाहिए तथा अपने वायदे के अनुसार उनकी मांगों को पूरा करना चाहिए जिससे अन्य कर्मचारियों के मन में भी सरकार के प्रति विश्वसनीयता कायम रहे तथा आने वाले दिनों में अपनी जायज मांगों के लिए कर्मचारियों को सड़क की लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर ना होना पड़े | छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष ओम नारायण शर्मा ने कहा है कि जिस प्रकार नारियों को अपने वाजिब हक़ के लिए सड़क पर आने को मजबूर होना पड़ रहा है वह दुर्भाग्यजनक है, हमारे देश की संस्कृति में “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमन्ते तत्र देवता:” ऐसी उक्ति स्वीकार की जाती है परन्तु नारियों की इस प्रकार उपेक्षा बिलकुल भी उचित नहीं है | एक ओर जहां सरकार राज्य में कुपोषण मुक्ति के लिए विशेष अभियान चला रही है तथा छत्तीसगढ़ की विशेष पहचान के लिए मिलेट्स मिशन चला रही है जो एक अद्भुत कार्य है, परन्तु इस अभियान को गति प्रदान करने वाले आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं की ऐसी उपेक्षा कदापि सही नहीं है |
उल्लेखनीय है कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका, अपनी छ: सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं, जिनमें शासकीय कर्मचारी घोषित करना, कलेक्टर दर पर मानदेय देना, नर्सरी शिक्षक का दर्जा देना, सुपरवाईजर के रिक्त पदों पर शत-प्रतिशत उन्हें नियुक्त करना, मोबाईल सुविधा उपलब्ध कराये बगैर विभागीय कार्य की बाध्यता समाप्त करना तथा सेवानिवृत्ति उपरांत कार्यकर्ताओं को पांच हजार व सहायिकाओं को तीन हजार रूपये पेंशन राशि प्रदान करना शामिल हैं | महीने भर से आंदोलनरत कार्यकर्ता व सहायिकाओं की कोई सुधि नहीं ली जा रही है जिसके कारण उनके द्वारा आने वाले दिनों में और भी उग्र आन्दोलन की चेतावनी दी गई है |
छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के संयोजक प्रमोद तिवारी, सचिव सुरेश पटेल व कोषाध्यक्ष आदित्य सिंह ठाकुर ने सरकार से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं की मांगों को तत्काल पूरा करने की मांग की है तथा यह भी कहा है कि सरकार जिस प्रकार उनसे काम लेती है उसी प्रकार उन्हें सुविधाएं भी मुहैया कराई जानी चाहिए ।